हेलो दोस्तों अगर आप Rahat Indori Shayari गूगल पर ढूंढ रहे हैं तो आप सही वेबसाइट पर आये हैं. इस वेबसाइट में आपको Dr. Rahat Indori Saheb की Love, Dosti, Politics, Romantic, Bewafa और देशभक्ति पर Best और Famous शायरियाँ मिलेंगी.
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 में इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम रफ़तुल्लाह कुरैशी और माता का नाम मक़बूल उन निशा बेगम था. वो हिंदी जगत के बहुत ही महान lyricist थे. जब भी कोई शायरी बोलते थे तो लोगों के दिलों में छा जाया करते थे. तो फिर चलिए शुरू करते हैं डॉ राहत इंदौरी साहब की शायरी पढ़ना.
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Rahat Indori Shayari Love
सुनपगली तेरा दिल भी धड़केगा
तेरी आँख भी फड़केगी..
अपनी ऐसी आदत डालूँगा
के हर पल मुझसे मिलने के लिये तड़पेगी
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…!!
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है…!!
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी…
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।पड़ता है।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो
मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
Rahat Indori Shayari Dosti
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी ,
कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया ।
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है।
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।
उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।
जा के कोई कह दे,
शोलों से चिंगारी सेफूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी
सेबादशाहों से भी फेके हुए सिक्के
ना लिएहमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से
Rahat Indori Shayari 2 Line
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,
निगरानी में सारा शहर लग गया।
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो,
यकीन मानो वक्त बेहतरीन जवाब देगा।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते
अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते
बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका
दियाइक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
Rahat Indori Shayari on Politics in hindi
सरहदों पर पता करो तनाव है क्या?
जरा पता करो शहर में चुनाव है क्या।
जो तौर है दुनिया का उसी तोर से बोलो,,
बहरो का इलाका है ज़रा ज़ोर से बोलो।
ये कैंचिया हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते है.
चोर उचक्कों की करो कदर,,
न जाने कौन कौनसी सर्कार में आ जायगा
हमारे मुँह से जो निकले वही सङ्कट है,
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है.
सभी का खून है शामिल इस मिटटी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है.
एक अख़बार हु औकात ही क्या मेरी,
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हो
दो गज सही यह मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने तो मुझे ज़मीदार कर दिया.
Rahat Indori Shayari Bulati Hai Magar
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नहीं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा (महामारी) फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं
Rahat Indori Romantic Shayari In Hindi
ऐसी सर्दी है की सूरज भी दुहाई मांगे,
जो हो परदेश में वो किस से रजाई मांगे
इश्क़ ने गुथे थे गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथो में तो ये कंगन भी हो गए।
रोज तारों की नुमाइश में खलल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज पत्थर की हिमाकत में ग़ज़ल लिखते है,
रोज शीशो से कोई काम निकल पढता है।
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए.
दिल की दुआ आपके नाम करती हु,
क़ुबूल हो अगर तो मुस्कुरा देना,
उन पालो में बस खुशियों की झलक हो,
उनकी गलियों से न जाने कितने गुज़र गए,
आशिक़ बाद तमीज़ थे उनके न जाने कितने सुधर गए,
खेर मोहब्बत तो हमें बहुत सादगी से करते थे उनसे,
न जाने कब हम उनकी गलियों से भी मोहब्बत करने लग गए,
तेरे बाद आँगन में चाँद तो बहोत आए,
घर को रोशन करने के लिए,
लेकिन हमने दरवाजे खोला ही नहीं।
घर तुम्हारी चाहत बारिश है,
तो मैं उस बारिश से महकने वाली मिट्टी हु।
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चुम लू तुमको इस कदर,
की तुम बिखरने न पाओ,
मेरी ख्वाहिशे भी पूरी हो जाए।
और तुम भी सवारने लग जा
क्या ऐसा हो नहीं सकता?
की ये रात तुम मेरी बहो में ठहर जाओ,
खुद को मुझ पर लौट कर
मुझसे मेरा नाम ले जाओ।
Bewafa Rahat Indori Shayari In Hindi
मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए शायद
आज वो भी बेवफा हो गाए शायद
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए शायद
ये मोहब्बत के हादसे अक्सर
दिलों को तोड़ देते हैं
तुम मंजिल की बात करते हो
लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं
तेरे इश्क़ ने दिया सुकून इतना
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे
तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर
कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा
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जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा
एक अश्क मेरे आँख में मुद्दत से पल रहा
जिसका मैं कर रहा हूँ घुट-घुट के इंतजार
वो बेवफा ना आई मेरा दम निकल रहा
राहत इंदौरी देशभक्ति शायरी
हर हक़ीक़त को मेरी खाक समझने वाले,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हो.
जवानियों में जवानी को धुल करते है.
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते है.
बन के इक हादसा बाजार में आ जायगा,
जो नहीं होगा वो अख़बार में आ जायगा.
तुम्हे सियासत ने हक़ दिया हे…
हरी ज़मीं को लाल कर दो.
बादशाहो से भी फेंके हुए सिक्के न लिए
हमने खेरत भी मांगी है तो खुद्दारी से
Rahat Indori Best Shayari
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं।
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थ।
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें।
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
Rahat Indori Famous Shayari
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है,
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं।
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं।
फूलों की दुकाने खोलो , खुसबू का व्यापार करो,
इश्क़ खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार कर।
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है,
आँधी से कोई कह दे आँधी से के औकात में रहे।
Rahat Indori Quotes
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है,
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते।
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे,
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो।
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा,
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा।
सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ,
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए
Rahat Indori Status
जिंदगी है एक सफर और जिंदगी की राह में,
ज़िन्दगी भी आये तो ठोकर लगानी चाहिए
सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए,
ए खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए।
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना,
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना।
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे,
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं।
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
अंतिम शब्द
दोस्तों मैं उम्मीद करता हूँ कि इस वेबसाइट में शेयर की गई Rahat Indori Shayari आपको बहुत पसन्द आयी होंगे। अपनी पसंदीदा शायरी को कमेन्ट करके हमें जरूर बताएं और इन राहत इंदौरी की शायरी को अपने दोस्तों लव के साथ सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर करना ना भूलें.